अबके ऐसी चाल चलेगा
दुश्मन होकर दोस्त लगेगा
जिस दिन ख़ुद को पहचानेगा
क्या वो अपने साथ रहेगा
कोई बात न होगी लेकिन
मुझसे ढेरों बात करेगा
आख़िर आँखें खुल जाएँगी
सपना कितनी देर चलेगा
मेरी ख़ामोशी का आख़िर
कोई तो मतलब निकलेगा !