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अब / केदारनाथ अग्रवाल




अब

आज

निकल आईं कोंपलें

जिस्म में--

साठिया पीपल के,

सेठ के जुल्म में

ज़मीन पर जो नहीं गिर पड़ा


(रचनाकाल : 13.05.1968)