Last modified on 25 जून 2015, at 20:08

अब किसी शैतान से डरना नहीं है / मधुर शास्त्री

यह कविता अधूरी है, अगर आपके पास हो तो कृपया इसे पूरा करें

जग उठा है देवता का बल हमारा
अब किसी शैतान से डरना नहीं है

वे हमीं हैं शून्य रेखा में सदा नवरंग भरते
जन्म लेते तारकों को एक हम ही सूर्य करते
हम नहीं इतिहास का हर वाक्य कहता है कहानी
हम जहाँ रखते कदम वहाँ गाथा लिखती है जवानी

सत्य की पतवार अपने हाथ में
जब फिर किसी तूफान से डरना नहीं है
जग उठा है देवता का बल हमारा
अब किसी शैतान से डरना नहीं है