अब कुछ भी सहा नहीं जाता
दरियाई जोश भरा द्वेष
ठान रहा नावों से बैर
टूटे विश्वासों के कगार
अपने से ज़्यादा है ग़ैर
कारण भी कहा नहीं जाता
अब कुछ भी सहा नहीं जाता
अब कुछ भी सहा नहीं जाता
दरियाई जोश भरा द्वेष
ठान रहा नावों से बैर
टूटे विश्वासों के कगार
अपने से ज़्यादा है ग़ैर
कारण भी कहा नहीं जाता
अब कुछ भी सहा नहीं जाता