अब तक जितना जीवन
उतना हारा
आगे का जो भी बाक़ी
वह भी क्या
मारा-मारा
अब एक उसकी ही शरण
जिसको अब तक नहीं पुकारा ।
रचनाकाल : 1994
अब तक जितना जीवन
उतना हारा
आगे का जो भी बाक़ी
वह भी क्या
मारा-मारा
अब एक उसकी ही शरण
जिसको अब तक नहीं पुकारा ।
रचनाकाल : 1994