अब हम गुम्म हुए, प्रेम नगर के शहर।
आपणे आप नूँ सोध रेहा हाँ,
ना सिर हाथ ना पैर।
एत्थे पकड़ लै चल्ले घराँ थीं,
कौण करे निरवैर!
खुदी खोई आपणा आप छीना,
तब होई कुल खैर।
बुल्ला सहु दोहीं जहानीं,
कोई ना दिसदा गैर।
अब हम गुम्म हुए, प्रेम नगर के शहर।
शब्दार्थ
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