Last modified on 4 जनवरी 2011, at 04:59

अभिमत बदलते हैं / इसाक अश्क

रंग
गिरगिट की तरह
अभिमत बदलते हैं ।

रोज़
करते हैं तरफ़दारी
अंधेरों की
रोशनी को
लूटने वाले
लुटेरों की

इसमें
नहीं होते सफल तो
हाथ मलते हैं ।

अवसरों की
हुण्डियाँ बढ़कर
भुनाने की
जानते हैं हम
कला झुकने
झुकाने की

यश
मिले इसके लिए हर
चाल चलते हैं ।