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अभियान के बाद / महेन्द्र भटनागर


गूँजते रह-रह करुण-स्वर !

रक्त की नदियाँ बहा कर
दिग-दिगन्तों को हिला कर
थम गये निर्मम बवंडर,
आज जन-जन के व्यथित उर !
मुक्त युग-खग के दमित पर !
:
होम वैभव कर, निरन्तर
नृत्य दानव का भयंकर
हो चुका मानव-अवनि पर,
नाश हिंसा से चकित हर !
विश्व में मानों जड़ित डर !