कुत्तों की तरह टुकड़ों पर अभी लड़ता है यह इन्सान
मछली की तरह अपनों को निगलता है यह इन्सान
दुम तो झड़ गई मगर हैवानियत ज्यों की त्यों है
जोंकों की तरह लोगों के लहू पर अभी पलता है यह इन्सान।
कुत्तों की तरह टुकड़ों पर अभी लड़ता है यह इन्सान
मछली की तरह अपनों को निगलता है यह इन्सान
दुम तो झड़ गई मगर हैवानियत ज्यों की त्यों है
जोंकों की तरह लोगों के लहू पर अभी पलता है यह इन्सान।