ये बेचारे उन्नीसवीं सदी के कवि
लाज से लाल-लाल गालों वाले स्वप्नदर्शी
प्रेरणाओं की मशाल हमारे महान बिरादर
जिन्होंने पेरिस में अपने पोर्ट्रेट बनाने की अनुमति दी
और जो आज स्कूल की तमाम पाठ्य-पुस्तकों में चमचम चमक रहे हैं
हमारे ही बिरादर
उन उद्धरणों और सूक्तियों के लेखक
जो हर अन्याय को न्यायसंगत ठहराने में इस्तेमाल हुआ करते हैं ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : उदयप्रकाश