हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
अमर बेल उदय पै छाई
जिस तलै म्हारी लाडो खेलण आई
हंस के उसके दादा ने गोद खिलाई
कहो म्हारी लाडो किसा बर ढूंढा
काला मत ढूंडो कुल ना लजावै
भूरा मत ढूंडो जलदी पसीजै
ओच्छा मत ढूंडो सब दिन खोटा
लम्बा मत ढूंडो सांगर तोडै
इसा बर ढूंडो जिसी थारी लाडो
कंवर कन्हीया मथुरा का बासी