(अमलतास)
देखा भागता
अमलतास आता
हल्दी चुराता ।
(यादें)
पंछी बन के
विचरती थी यादें
धरा पे गिरी ।
(भटकता मन)
लिए फिरता
मैं भटकता मन
प्रवासी बन ।
(रिश्ते)
साथ हैं काँटे
फिर भी मुस्कराते
रिश्ते निभाते ।
(त्रासदी)
झुलस गई
संवेदना की बेल
त्रासदी खेल ।
( नींद)
सौगात जब
आतंक का बिस्तर
तो नींद कहाँ ।