मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
अमवा के डाढ़<ref>डाल</ref> चढ़ि बोलेले कोइलिया।
लगन<ref>विवाह का शुभ मुहूर्त्त</ref> लगन डिँड़ियाय<ref>डिडियाय। संस्कृ. चारो ओर डुगडुगी पीटना या रट लगाना</ref> हे॥1॥
एहो नगरिया माइ हे, कोई नहीं जागथिने<ref>जागते हैं</ref>।
लगन न माँगथिन<ref>माँगते हैं</ref> लिखाइ जी॥2॥
एहो नगरिया माइ हे, जागथिन कवन बाबू,
हमें लेबइ लगन लिखाइ हे॥3॥
घर से बाहर भेलन<ref>हुए</ref> दुलरइता दुलहा,
आजु बाबू लगन लिखाहु जी॥4॥
अइसन लगन लिखिह जी बाबू,
ओहे लगन होइतो बियाह जी॥5॥
शब्दार्थ
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