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अरथीजै जीवण / कन्हैया लाल सेठिया

चालै
पुरवाई
लीलो छिम गिगनार
जाणै छोड़यड़ो बीड़
धडूकै काळा ‘र धोळा
बादळां रा गोधा
करै भिड़न्त, खीवै बीजळी
उफणै खेतां में
बधतो धान
हुग्यो निरवाळो करसो
काढ’र निनाण
बजावै अलगोजो
चोपै रो गुवाळियो किसन
आवै ढाणी में स्यूं
खदबदतै खीच री सुगन
मिलै गलै
धरती’र गगण
अरथीजै जीवण !