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अरबी घोड़े पर सवार / केदारनाथ अग्रवाल



अरबी घोड़े पर सवार

जैसे कोई राजकुमार

नदी में डाल गया हो अपना यौवन

और वह हो गई हो निहाल

ऎसा है उसका यौवन

जो नगर में आज नाची

और कुहकी--

आँखों में भरे मदिरा

और हाथ में लिए कटार !