बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
अरे कुंअना तौ संतन की कौनउ मरै सुघर पनिहार
अरे सांकर मुख बावली कि सिढ़िया रतन जड़ाव
उतर के पानी पिउ लेउ कि जिउ की जलन जुड़ाय
अरे कुंअना तो संतन की कोनउ भरै सुघर पनिहारि
अरे कुंअना तौ संतन की कौनउ मरै सुघर पनिहार
अरे सांकर मुख बावली कि सिढ़िया रतन जड़ाव
उतर के पानी पिउ लेउ कि जिउ की जलन जुड़ाय
अरे कुंअना तो संतन की कोनउ भरै सुघर पनिहारि