Last modified on 8 फ़रवरी 2012, at 00:37

अलबत्ता / सुधीर सक्सेना

आपने प्रेम किया
तो भी मरेंगे
और नहीं किया
तो भी मरेंगे एक रोज़

प्रेम से मौत खारिज़ नहीम होती
मौत का एक दिन मुअ‍इय्यन है

प्रेम से नहीं बदलती मौत की तारीख़
अलबत्ता प्रेम से बदल जाती है ज़िन्दगी
आमूलचूल ।