ख़्वाहिशे-मर्ग की सरशारी में
यह भी नहीं सोचा
जीना भी एक कारे-जुनूं है इस दुनिया के बीच
और लम्बे अनजान सफ़र पर चले गए तन्हा
पीछे क्या कुछ छूट गया है
मुड़के नहीं देखा।
ख़्वाहिशे-मर्ग की सरशारी में
यह भी नहीं सोचा
जीना भी एक कारे-जुनूं है इस दुनिया के बीच
और लम्बे अनजान सफ़र पर चले गए तन्हा
पीछे क्या कुछ छूट गया है
मुड़के नहीं देखा।