तुम्हें भूलने की कोशिश के साथ
लौटी हूँ इस बार
मगर
तुम्हारी यादें चली आई हैं
सौंधी खुश्बू वाली मिट्टी
साथ चली आती है जैसे
तलवों में चिपक कर
पतलून के मोड़ में
दुबक कर बैठी रेत की तरह
साथ चले आए हैं
तुम्हारे स्मृतियों के मोती।
तुम्हें भूलने की कोशिश के साथ
लौटी हूँ इस बार
मगर
तुम्हारी यादें चली आई हैं
सौंधी खुश्बू वाली मिट्टी
साथ चली आती है जैसे
तलवों में चिपक कर
पतलून के मोड़ में
दुबक कर बैठी रेत की तरह
साथ चले आए हैं
तुम्हारे स्मृतियों के मोती।