मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
असाढ़हि मास घटा घनघोर
मोहि तेजि पिया गेल देसक ओर, मोहन नञि मिलिहैं
हो भगवान, कोने कसूर विधना भेल बाम, मोहन नञि मिलिहैं
साओन बेली फुलय भकरार
देखि नयन सँ बहय जलधार, मोहन नञि मिलिहैं
भादव के निशि राति अन्हार
घुमिल अयलहुँ सौंसे संसार, मोहन नञि मिलिहैं
आसिन आस लगाओल अपार
आसो ने पूरल हमार, बितल चौमास, मोहन नञि मिलिहैं
हो भगवान, कोने कसूर विधना भेल बाम, मोहन नञि मिलिहैं