ओ असिधारा-पथ के गामी!
विकट सुभट तुम, अथक पथिक तुम कंटक-कीर्णित मग-अनुगामी
ओ असिधारा-पथ के गामी!
तुम विकराल मृत्यु आसन के साधक, तुम नवजीवन-दानी
तुम विप्लव के परम प्रवर्तक, चरम शांति के निष्ठुर स्वामी!
ओ असिधारा-पथ के गामी!
शत-शत शताब्दियों के पातक पुंज हो रहे पानी-पानी,
अंजलि भर-भर जीवन शोणित देने वाले ओ निष्कामी!
तुम असिधारा-पथ के गामी!
हे प्रचंड उद्दंड, अखंड महाव्रत के पालक विज्ञानी,
तड़प उठा है सब जग ज़रा ठहर जाओ, हे मौन अनामी!
तुम असिधारा-पथ के गामी!