था मैं सबसे ऊँचा
चढ़ा जब मन के पहाड़ पर
ऽुद को समझ रहा था
सबसे बड़ा
जब मैं था ध्न के अहंकार पर
झूम रहा था जवानी की मस्ती में
अपनी छोटी सी बस्ती में
हर किसी के दीदार पर
उतरा जब नशा पहाड़ का
हटा चोला अहंकार का
तब चला पता
मैं ऊँचा नहीं नीचा हूँ
बड़ा नहीं छोटा हूँ
मैं सबसे ऽोटा हूँ।