मैंने भोर की धूप को
कुछ पल देखा
फिर उसके गुलाब झर गए
आसावरी थम गई
मेरे अन्तर्मन
न जाने क्यों तुम में
एक अहेरी प्रभाव रहता है
मैंने भोर की धूप को
कुछ पल देखा
फिर उसके गुलाब झर गए
आसावरी थम गई
मेरे अन्तर्मन
न जाने क्यों तुम में
एक अहेरी प्रभाव रहता है