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अेक सौ चाळीस / प्रमोद कुमार शर्मा

बारणै बिचाळै ऊभो हूं
होवसी कोई तो उण पार
जको म्हारी बोली पिछाणसी
करसी दवा म्हारी पीड़ री
म्हांनै के चिंत्या है भीड़ री

अेक स्याणो ई काफी है
ओरां सूं माफी है।