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अेक सौ दो / प्रमोद कुमार शर्मा

आपरै गांव में
राम-राम तो करता ई होसी लोग

म्हारै ख्याल सूं
बै ई जाणै ताकत कविता री
पीड़ राम अर सीता री
म्हनैं :
बां तांई ही सबद पूगावणो है
बाक्यां सूं लुकावणो है।

(अमृता प्रीतम नैं समरपित)