Last modified on 7 अगस्त 2019, at 14:25

अ-व्याकरण / नवीन रांगियाल

पहले कुछ नहीं था
न बोलना
और न ही चुप रहना

फिर धीरे धीरे
दुनिया में व्याकरण आया
और फिर पूरी दुनिया की भाषा
ख़राब हो गई

हम फिर लौटेंगे
उसी आरंभ की तरफ
जिसे दुनिया अंत कहेगी

तब न कुछ कहा जाएगा
और न ही सुना जाएगा कुछ

वही अ-व्याकरण वाली शुरुआत
जिसे लोग अंत कहेंगे
एक सुंदर कविता होगी