आँखों की धुँध में उड़ती-सी
अफ़वाह का एक अजब मज़ाक है
यह पिघलते हुए दिल और
नमाई हुई रोटी का
हीरा तो खान में एक
प्यारा-सा फ़साना है
किसी पत्थर दिल और
नमाई हुई रोटी का
ग़रीबी के पछोड़ में
ग़म के दानों की रुत है
सब्र का बँधा हुआ मुँह
खुल जाएगा कल के अख़बारों में
बस और कुछ नहीं
अँग्रेज़ी से अनुवाद : शमशेर बहादुर सिंह