रचनाकार: शैलेन्द्र |
किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार
किसीका दर्द मिल सके तो ले उधार
किसीके वास्ते हो तेरे दिल में प्यार
जीना इसी का नाम है
किसी की ...
(माना अपनी जेब से फ़कीर हैं
फिर भी यारों दिल के हम अमीर हैं ) \- (२)
मिटे जो प्यार के लिये वो ज़िन्दगी
जले बहार के लिये वो ज़िन्दगी
किसी को हो न हो हमें तो ऐतबार
जीना इसी का नाम है
(रिश्ता दिल से दिल के ऐतबार का
ज़िन्दा है हमीं से नाम प्यार का ) \- (२)
के मर के भी किसी को याद आयेंगे
किसी के आँसुओं में मुस्कुरायेंगे
कहेगा फूल हर कली से बार बार
जीना इसी का नाम है