आंखें खोलते ही
जैसा मिला यह संसार
था संदिग्ध
जाना जितना अपर्याप्त, न जाने जितना
बन्द होने तक आंखें
वह जानने लायक है
यह सोचते हुए ही मैंने जाना
बस कुछ असंदिग्ध -
और थोड़ा सा अनजाना
आंखें खोलते ही
जैसा मिला यह संसार
था संदिग्ध
जाना जितना अपर्याप्त, न जाने जितना
बन्द होने तक आंखें
वह जानने लायक है
यह सोचते हुए ही मैंने जाना
बस कुछ असंदिग्ध -
और थोड़ा सा अनजाना