हर तरफ़ पसरा अँधेरा कब तलक़ ढोते रहेंगे
भूल कर अपना सवेरा कब तलक़ सोते रहेंगे
आइए एक दीप से एक दीप को ज्योतित करें
हर समय सूरज का रोना कब तलक रोते रहेंगे
हर तरफ़ पसरा अँधेरा कब तलक़ ढोते रहेंगे
भूल कर अपना सवेरा कब तलक़ सोते रहेंगे
आइए एक दीप से एक दीप को ज्योतित करें
हर समय सूरज का रोना कब तलक रोते रहेंगे