मैं जब भी गुजरा हूँ इस आईने से,
इस आईने ने कुतर लिया कोई हिस्सा मेरा.
इस आईने ने कभी मेरा पूरा अक्स वापस
नहीं किया है--
छुपा लिया मेरा कोई पहलू,
दिखा दिया कोई ज़ाविया ऐसा,
जिससे मुझको,मेरा कोई ऐब दिख ना पाए.
मैं खुद को देता रहूँ तसल्ली
कि मुझ सा तो दूसरा नहीं है !!