गाती हैं बेग़म अख़्तर
फ़ाकिर की ग़ज़ल
फिर-फिर सुनता हूँ
ग़ज़ल के बोल
बेग़म की बेमिसाल गायकी
मगर बारिश दिल नहीं तोड़ती
सुप्रिया साथ है खुले आसमान तले
बारिश में
बरसात में सचमुच बरसती है शराब
गाती हैं बेग़म अख़्तर
फ़ाकिर की ग़ज़ल
फिर-फिर सुनता हूँ
ग़ज़ल के बोल
बेग़म की बेमिसाल गायकी
मगर बारिश दिल नहीं तोड़ती
सुप्रिया साथ है खुले आसमान तले
बारिश में
बरसात में सचमुच बरसती है शराब