सब कुछ याद रखे हूँ ।
कब जो चिबुक के पास तर्जनी रखकर
अवाक् होकर ताकी हो गमलों के पुष्पगाछ की तरफ;
अरी माँ ! कितने सुन्दर हैं ?
इतनी कलियाँ आ गईं हैं ?
वे खिलेंगी कब ?
आज ही खिल गई हैं
यदि तुम घूमकर देख सकती हो
तो सारे फूलों के साथ तुम्हारी भेंट हो जाएगी ।
फूल आएँगे,
एक बार ज़रूर आएँगे,
गमले के गाछ के पास
मोढ़ा डालकर बैठा रहूँगा मैं ।
मूल बाँगला भाषा से अनुवाद : रामशंकर द्विवेदी