Last modified on 20 मार्च 2017, at 17:18

आएंगे अच्छे दिन / श्याम सुशील

आएंगे अच्छे दिन
लिखेंगे हम भी अच्छी कविताएं
एक भली दुनिया के गीत हम गाएंगे!

अभी हम दुर्दिन के अंधेरे में घिरे हैं
धरती की कोख में पड़े हुए बीज हम उगने को आतुर हैं
कह नहीं सकते लड़ाई यह कब तक चले
मगर विश्वास है ऊभ-चूभ उभरेंगे
सांसत के दिनों से उभरेंगे
एक दिन नाचेंगे हम भी
क्रूर काल के फन पर
वंशी बजायेंगे...

लाएंगे हम ही
अच्छे दिन लाएंगे...