Last modified on 6 अक्टूबर 2020, at 23:40

आओ, दीप जलाएँ / प्रकाश मनु

खिली-खिली मुसकानें लेकर
आओ, दीप जलाएँ,
फुलझड़ियों के गाने लेकर
आओ, दीप जलाएँ।

एक दीप ऊँची मुँडेर पर
एक दीप देहरी पर,
एक दीप झिलमिल आँगन में
एक गली में बाहर।

दीपक एक जहाँ खेला करता
है चुनमुन भैया,
दीपक एक जहाँ नन्ही की
होती पाँ-पाँपैयाँ।

किस्से जहाँ सुनाती थी
बूढ़ी काकी हँस-हँसकर,
दीपक एक वहाँ भी रखना
थोड़ा सा मुसकाकर।