आओ भर लें ह्रदय में
अग्नि की दाहकता
आँधियों की प्रचंडता
सागर की गहनता
शिशुओं की मधुर मुस्कानों से
धो डालें
उदासियों की परतें
सूर्य के प्रकाश से आलोकित कर लें
ह्रदय के कोनों में बस गए
अंधेरों को
यही हमारे आसपास ही है सब कुछ
जो-जो चाहिए
ले लें
केवल बढ़ाने हैं हमें, हाथ
दृढ़ करनी है
संकल्प-शक्ति