आओ बचायें अपना पर्यावरण
इस पर टिका हुआ है सबका जीवन।
जंगल, ज़मीन, जल, पर्वत व झरने
सब हैं सहाय, सबसे रिश्ते अपने,
इनसे बना है अपना पर्यावरण।
सृष्टि बनी है पाँच तत्व मिलाके
पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि हवा से
साक्षात होता देव-देवी दर्शन।
ग्लोबल गरम है हिमालय पिघलता
खाकर प्लास्टिक पशुधन भी मरता,
लगता प्रलय की ओर बढ़ता चरण।
जंगल लगाना उसकी करना सुरक्षा,
पशु-पक्षी लुप्त, बिगड़ा मानव का नक्शा,
धरती भी बाँझ होती करती रुदन।
बरबाद हो रही हैं पशुओं की नस्लें
खलिहान सूना-सूना कम होतीं फसलें,
पर्यावरण संरक्षण हो अपना चलन।