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आकाश रोगी को
दिखाता है
तरह-तरह के चित्र
कभी वो देखता है जहाज़
कभी रेफ़्रीजीरेटर,
कभी कोई केंचुआ तो
कभी सफ़ेद गाय हिन्दुओं की पवित्र
फिर कोई बेहूदा छड़ी पंख वाली
कोई चमकता हुआ शंख
फिर बाइबिल में लिखे युद्ध
और
आसमान में कविताएँ लिखी होती हैं
कोई नंगी मॉडल खड़ी होती है चित्रकार के सामने
कभी भागते घोड़े
तो कभी ख़ून भरा बलगम
लेकिन वो जिन्हें देखना चाहता है
वो फ़रिश्ते दिखाई नहीं देते।