Last modified on 13 अगस्त 2009, at 09:39

आकाश से पूछे / नंदकिशोर आचार्य

सूना आकाश
चीरते हुए उड़ता चला गया
पाखी
चिह्न तक बाक़ी नहीं कोई
कोई यह ज़रा
आकाश से पूछे-
उस पर क्या गुज़रती है
पाखी के उड़ जाने
अपने सूनेपन के
चिर जाने से