आख़िरी कुछ भी नहीं / विहाग वैभव

राजा को उम्मीद है
वह सत्ता में बना रहेगा
जनता को उम्मीद है
वह चुनेगी अबकी अपना सच्चा नेता
हत्यारे को उम्मीद है
वह बच निकलेगा इस बार भी
बुढ़िया को उम्मीद है
आएगा फ्रांस से फोन
धरती को उम्मीद है
वह सब सह लेगी

चेहरे को उम्मीद है
वह छिपा लेगा गीली हँसी
अन्धेरे को उम्मीद है
सुबह फिर होगी

गोपियों को है उम्मीद
लौट आएँगे कृष्ण
समसारा को उम्मीद है
मरेगा मेरे कवि का पुरुष

मछुआरे की उम्मीद नहीं टूटी है
वह जाल फिर फेंकेगा
आदिवासियों को है उम्मीद
अब नहीं आएगा
बुलडोजरी दाँतों वाला दानव
चिचोरने जंगल की जाँघ

उम्मीद उनमें से सबसे ख़ूबसूरत है
जो कुछ भी है
या जिसके होने की सम्भावना है

तो आओ हम मिलकर जोड़ें हाथ
और नियति से करें प्रार्थना
धरती की कोख से
सूरज की जड़ तक
सबकी उम्मीद बँधी रहे
बची रहे ये दुनिया
बनी रहे ये सृष्टि ।

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