एक वह
अक्स पर जो मुग्ध था
अपने
इतना- लय हो गया
उसमें।
और एक वह
-अक्स है जिसका दुनिया
यह
ख़फ़ा-ख़फ़ा-सा रहता है
सब वक़्त
-गो प्रभु कहलाता है!
हम-सब एक-दूजे से
ख़फ़ा रहते हैं क्या इसलिए-
आख़िर अक्स हैं उसके!
एक वह
अक्स पर जो मुग्ध था
अपने
इतना- लय हो गया
उसमें।
और एक वह
-अक्स है जिसका दुनिया
यह
ख़फ़ा-ख़फ़ा-सा रहता है
सब वक़्त
-गो प्रभु कहलाता है!
हम-सब एक-दूजे से
ख़फ़ा रहते हैं क्या इसलिए-
आख़िर अक्स हैं उसके!