आखिर अन्हार कबले
उनके सुतार कबले
पाइब गुलाब कबहूँ
गाड़िहें ई खार कबले
उल्टा बही, बता द ऽ
पानी के धार कबले
हिम्मत के बा भरोसा
चल पाई रार कबले
खूबी के खामियन अस
होई प्रचार कबले
पलटी ‘पराग’ मौसम
पतझड़ के मार कबले
आखिर अन्हार कबले
उनके सुतार कबले
पाइब गुलाब कबहूँ
गाड़िहें ई खार कबले
उल्टा बही, बता द ऽ
पानी के धार कबले
हिम्मत के बा भरोसा
चल पाई रार कबले
खूबी के खामियन अस
होई प्रचार कबले
पलटी ‘पराग’ मौसम
पतझड़ के मार कबले