धीमे-धीमे सुलगती भीतर
राख ढकी
उपलों की आग
भुरभुरा जाती
सारी देह
आत्मा नि:शब्द
चटख़ती रहती
सितंबर 1990
धीमे-धीमे सुलगती भीतर
राख ढकी
उपलों की आग
भुरभुरा जाती
सारी देह
आत्मा नि:शब्द
चटख़ती रहती
सितंबर 1990