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आग के रूप / मक्सीम तांक

उसने जन्म लिया हज़ार बार
उसकी मृत्यु हुई हज़ार बार
फिर-फिर जन्म लेती रही वह
तारों की तरह अनश्वर है वह ।

वफ़ादार घरेलू कुत्ते की तरह
वह चाटती है मेरे ठिठुरते हाथ ।
मैं भी सहलाता हूँ उसे धीरे-धीरे
कहीं काट न डाले मेरे हाथ गुस्से से ।

उसकी तरफ़ फेंका मैंने
चर्बीवाला हड्डी का टुकड़ा
झ्पट लिया उसने उसे अपने पंजों में
और अचानक वह बदल गई सारस में
जो अपने पंख फैलाए
धुएँ के विषैले साँप के साथ
लाल चोंच लिए
शामिल हो गया है उन्मुक्त नृत्य में ।

मैं पीछे मुड़ भी न पाया
कि वह अचानक सिमटने लगी
बदल गई छोटी-सी तितली में
सहमी हुई ईंधन की लकड़ी के बीच
एक पुरानी झोंपड़ी में ।

फिर वह बदल गई सेही में
नींद अभी आई ही थी मुझे
कि चुभो दिए उसने
अपने सुनहले काँटे
उड़ने लगी आकाश की ओर
गगारिन के रॉकेट-सी ।

फिर सिमटने लगी वह
बदल गई छापामार की टोपी की शक्ल में
जिस पर लगा था फ़ीता
हमारे क्रोध और आक्रोश का ।

फिर वह
राख की पृष्ठभूमि में
चमक उठी
अनाम क़ब्र के ऊपर गिरते तारे-सी ।

पर थोड़ी देर बाद
चमक उठी वह युवा सूर्य की तरह
जिसे अभी-अभी उठाया हो
कुएँ के सारसों की सहायता से
रात के गहरे अतल से ।

मालूम नहीं मुझे
क्या-क्या रूप धारण करेगी यह आग,
किस-किस तरह करेगी हमें हैरान,
इसलिए मुझे हमेशा
दुख होता है
अलाव से विदा लेने पर ।


रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह