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आग हुई सेज / कुमार रवींद्र

अँजुरी के फूल जले
            आग हुई बेला की सेज
 
बाबू की आसीसें
अम्मा की सीख
गौरा के व्रत
सीता मइया की लीक
 
मैके ने दिए बड़े प्यार से सहेज
 
धोबिन का सत
भोले भैया की लाई
मँडवे के तले बजी
मीठी शहनाई
 
सब कुछ तो दिया साथ पीहर ने भेज
 
सुखी रहे
माथे का सिंदूरी ठाँव
बदले में रेहन हुआ
है सारा गाँव
 
पूरा पर हुआ नहीं साँस का दहेज