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आछी के फूल / त्रिलोचन


मग्घू चुपचाप सगरा के तीर
बैठा था बैलों की सानी पानी कर
चुका था मैंने बैठा देखकर
पूछा,बैठे हो, काम कौन करेगा|
मग्घू ने कहा, काम कर चुका हूं
नहीं तो यहां बैठता कैसे,
मग्घू ने मुझसे कहा,
लंबी लंबी सांस लो,
सांस ले ले कर मैंने कहा,सांस भी
ले ली,
बात क्या है,
आछी में फूल आ रहे हैं,मग्घू ने कहा,अब
ध्यान दो,सांस लो,
कैसी महक है|

मग्घू से मैंने कहा,बड़ी प्यारी मंहक है
मग्घू ने पूछा ,पेड़ मैं दिखा दूंगा,फूल भी
दिखा दूंगा.आछी के पेड़ पर जच्छ रहा करते हैं
जो इसके पास रात होने पर जाता है,उसको
लग जाते हैं,सताते हैं,वह किसी काम का
नहीं रहता|

इसीलिये इससे बचने के लिये हमलोग
इससे दूर दूर रहते हैं|