देश वही जो अपने में आज़ाद है,
आज़ादी का कोरस जिसको याद है ।
आज़ादी कुर्बानी है
कल के लिए कहानी है
यह हीरे का पानी है
उजली अमृत-बानी है
इस आँधी के हाथों में फ़ौलाद है,
आज़ादी का कोरस जिसको याद है ।
बन्धन एक ग़ुलामी है
कायरता का हामी है
नहीं बँधे जो बन्धन से
वही महकते चन्दन से
चन्दन जो ज़िन्दगी नहीं, बरबाद है,
आज़ादी का कोरस जिसको याद है ।
जीवन को चन्दन कर लो
कंचन से कुन्दन कर लो
जब तक साँसें फूल समझ
फिर मुट्ठी भर धूल समझ
यह मिट्टी तो इस मिट्टी की खाद है,
आज़ादी का कोरस जिसको याद है ।