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आज़ादी की लड़ाई / रंजना जायसवाल

चिड़िया ताक रही है
टुकुर -टुकुर
सींखचों के पार
इंतजार है उसे
साथियों का
जानती है वह
अकेले नहीं लड़ी जा सकती
आजादी की लड़ाई
और आजाद हुआ बिना
नहीं पूरा हो सकता
उसका सपना
सपना धड़कती नदी
चम्पई धुप
दुधगर दानों
और खुले आसमान का