आज चाहता जी
(निराशा का चित्रण)
आज चाहता जी ,
सब दिन के बदले रोना,
धैर्य चाहता आज
बिदा प्राणों से होना
अब न भला लगता
ऐसे में आशा करना
अब न भला लगता
इतने में दुख में भी हँसना।
चाहते आँसू मेरे प्राण डुबेाना
आज चाहता जी,
सब दिन के बदले रोना
(आज चाहता जी कविता का अंश)