हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
आज बागां मेरे बीरा उणमणी
आया मेरी मां का जाया बीर
हीरा बन्द ल्याया चून्दड़ी
ओढूं तो हीरा रे बीरा झड़ पड़ै
डिब्बै में धरूं तो लरजे मेरा जिया
हीरा बन्द ल्याया चून्दड़ी
इसी ए तो ल्या द्यूं दो ए चार
हीरा बन्द ल्याया चून्दड़ी